इस गए साल ने हमसे
ऐसा किया |
कुछ बुरा कर गया कुछ
तो अच्छा किया |
हमने सोचा बहुत पा
सके सब नहीं,
मन की इच्छा में यूं
रह गई कुछ कमी |
वक्त की चाल पे क्यों
भरोसा किया........
बेटी-बेटे गए अगले
दर्जे में अब,
कुछ इजाफा हुआ फिर से
कर्जे में अब,
काम-धंधे ने यूं
बेसहारा किया..........
कुछ नए लोग जीवन में
हमसे मिले,
बढ़ गए कुछ पुरानों के
शिकवे गिले,
बात बढ़ने से उनसे
किनारा किया......
गम ख़ुशी के कई जाम
पीते रहे,
इक नई आस में हम तो
जीते रहे,
कुछ भला आगे होगा ये
सोचा किया....
कुछ पुराने थे अपने,
बिछड़ भी गए,
हम कई बार तनहा से पड़
भी गए,
फिर संभलकर न्य इक
इरादा किया......
साल जो आएगा वो ख़ुशी
लाएगा,
दूर गम होंगे लब पर हंसी
लाएगा,
वक्त ने हमसे ऐसा
इशारा किया......
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