कहाँ हैं राम कैसे हैं बताएं |
जरूरत है धरा पर आप आएं |
नहीं है अब कहीं सम्बन्ध ऐसे, जो रामायण में
बरसों से पढ़ा है,
नहीं है त्याग और आदर्श ऐसे, तेरे इतिहास ने
जिनको गढ़ा है,
कई प्रतिमान तुमने है दिखाए, कहीं जिनको नहीं हम
आज पाएं |
न बेटा आप जैसा बन सके हम, न भाई आप जैसा कोई
पाया,
न धन-दौलत कभी ठुकरा सके हम, न जंगल में कभी
जीवन बिताया,
दिए स्वारथ, अहम के बुझ न पाए, भले रावण यहाँ हम
सब जलाएं |
किसी को पाप करते देखकर भी, कभी रोका नहीं टोका
नहीं है,
दिखे हर ओर भ्रष्टाचार इतना, ये संस्कारों से
क्या धोखा नहीं है,
व्यथा अपनी भला किसको सुनाएं, कहीं आदर्श सारे
खो न जाएं |
नहीं है निर्भया निर्भय यहाँ अब, सुरक्षित अब
नहीं कोई प्रियंका,
नरों के भेष में हम भेड़िये हैं, बजा ले लाख
संस्कारों का डंका,
हकीकत इक-न-इक दिन खुल ही जाए, भले हम लाख मुहँ
अपना छिपाएं |
दरिन्दे घूमते हैं अब यहाँ पर, दया संवेदना
दिखती नहीं है,
निकलती जब अकेली घर से बेटी, लगे डर जब तलक आती
नहीं है,
पढ़ाओ बेटियाँ नारा लगाएं, बचे बेटी तो हम बेटी
पढाएं |
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