Friday, January 31, 2020

पंचकवि-चौरासी घाट : कवि संतोष 'प्रीत' : हनुमानगढ़ी घाट

छोड़ कर जंगलो के घर बन्दर।
आ गए है सभी शहर बन्दर।।

है परेशान नगर के वासी,
ढ़ा रहे इस कदर कहर बन्दर।

जब भी आते है नही ये तन्हा,
साथ लेकर के हमसफ़र बन्दर।

अब तो छतपर निकलना मुश्किल है,
इस तरह से दिखाते डर बन्दर।

जो कभी भी हुआ शिकार उनको,
याद आते है उम्र भर बन्दर ।

घर बनाया है काट कर जंगल,
'प्रीत' उसका ही है असर बन्दर।।

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