Tuesday, December 10, 2019

पंचकवि-चौरासी घाट-1 : डॉ. सर्वेशानन्द : पंचगंगा घाट

[1]
काशी   में   जाने  गये,  हैं   चौरासी  घाट |
ज्ञान धर्म संस्कृति सभी, मिलते इनके बाट ||
[२] मुक्तक
* पाँच नदियों का संगम इसी घाट पर
   पंच  तीर्थों  का संगम इसी घाट पर
   गुरु  बनाये  कबीरा  मिला  ज्ञान था
   साढ़े कितनों ने सरगम इसी घाट पर
**माँ गंगा की लहरों में हम
   घाटों के इन पहरों में हम
   चले है जन जन गीत सुनाने
   सुबहो शाम दोपहरों में हम
[3 ]
वक्त जो लाये ढ़ाल तो ढ़लकर देखो तुम |
उम्मीदों  की  राह  पे  चलकर देखो तुम ||
चलते  चलते  एक  दिन  मंजिल  आएगी |
गिरों  हज़ारों  बार  सम्भलकर  देखो तुम ||
अपनापन तो अपनी हद को तय करता है |
गैरों  की  आवाज  में  खुलकर  देखो तुम ||
जीत  मिले  तो  हारे  का  सम्मान  करो |
हार मिले तो जीत में घुलकर देखो तुम ||

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